
मां गायत्री मंत्र और पूजा विधि
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए वस्त्र अथवा ओढ़नी चढ़ाना चाहिए
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः।
वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो।।
मां गायत्री की पूजा में उन्हें इस मंत्र के द्वारा मुकुट चढ़ाना चाहिए
मातस्तवेमं मुकुटं हरिन्मणि-प्रवाल-मुक्तामणिभि-र्विराजितम्।
गारूत्मतैश्चापि मनोहरं कृत गृहाण मातः शिरसो विभूषणम् ।।
इस मंत्र के द्वारा मां गायत्री को धूप दिखलाना चाहिए
दशांगधूपं तव रंजनार्थं नाशाय मे विघ्नविधायकानाम्।
दत्तं मया सौरभचूर्णयुक्तं गृहाण मातस्तव सन्निधौ च।।
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ।।
मां गायत्री की आरती करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
इदर्ठ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीरः सर्व्गणर्ठ स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।।
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए वस्त्र अथवा ओढ़नी चढ़ाना चाहिए
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः।
वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो।।
मां गायत्री की पूजा में उन्हें इस मंत्र के द्वारा मुकुट चढ़ाना चाहिए
मातस्तवेमं मुकुटं हरिन्मणि-प्रवाल-मुक्तामणिभि-र्विराजितम्।
गारूत्मतैश्चापि मनोहरं कृत गृहाण मातः शिरसो विभूषणम् ।।
इस मंत्र के द्वारा मां गायत्री को धूप दिखलाना चाहिए
दशांगधूपं तव रंजनार्थं नाशाय मे विघ्नविधायकानाम्।
दत्तं मया सौरभचूर्णयुक्तं गृहाण मातस्तव सन्निधौ च।।
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ।।
मां गायत्री की आरती करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
इदर्ठ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीरः सर्व्गणर्ठ स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।।
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए पूगीफल समर्पण करना चाहिए
ॐ याः फ़लिनीर्या अफ़ला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः।
बृहस्पतिप्रसूतास्तानो मुंचन्त्वर्ठ हसः ।।
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए।
ॐ ओषधीः प्रतिमोददध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः ।
अश्चा इव सजित्वरीवींरूधः पारियिष्णवः ।।
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें ताम्बूल समर्पण करना चाहिए
कर्पूर्-जातीफ़ल-जायकेन ह्येला-लवंगेन समन्वितेन ।
मया प्रदत्तं मुखवासनार्थं ताम्बूलमंगी कुरू मातरेतत् ।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए मां गायत्री को सिन्दूर समर्पण करना चाहिए
ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्यायाहेतिं परिबाधमानाः ।
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान्पुमान पुमार्ठ सम्परिपातु विश्वतः ।।
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उनका आवाहन करना चाहिए
आयाहि वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि ।
गायत्रि छन्दसां मातर्ब्रह्ययोने नमोस्तु ते ||
शाब्दिक अर्थ
ॐ : सर्वरक्षक परमात्मा
भू: : प्राणों से प्यारा
भुव: : दुख विनाशक
स्व: : सुखस्वरूप है
तत् : उस
सवितु: : उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक
वरेण्य : वरने योग्य
भुर्ग: : शुद्ध विज्ञान स्वरूप का
देवस्य : देव के
धीमहि : हम ध्यान करें
धियो : बुद्धियों को
य: : जो
न: : हमारी
प्रचोदयात : शुभ कार्यों में प्रेरित करें
भावार्थ : उस सर्वरक्षक प्राणों से प्यारे, दु:खनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें... तथा वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें...
Ramcharit Manas (श्रीरामचरितमानस)
Aarti Sangrah (आरती संग्रह)
Chalisa Sangrah (चालीसा संग्रह)
Stuti Sangrah (स्तुति संग्रह)
Strotra Sangrah (स्त्रोत्र संग्रह)
Namavali Sangrah (नामावली संग्रह)
Navagraha Sangrah (नवग्रह मंत्र)
Bhajan Sangrah (भजन संग्रह)
Kavach Sangrah (कवच संग्रह)
Mantra Sangrah (मंत्र संग्रह)
Vrat Katha (व्रत कथा)
Dream Meaning (जानें सपनों का मतलब)
Navratri (नवरात्री)
Diwali Puja Vidhi (दिवाली पूजा विधि)
Durga Saptsati (श्री दुर्गा सप्तशती संपूर्ण)
Nakshatra & their lords (नक्षत्र जिनके स्वामी)
Vinaypatrika (तुलसीदास कृत विनयपत्रिका)